वुमन डे विशेष : क्या नारी अब भी स्वतंत्र है ?

‘महिला दिवस’ हर वर्ष 8 मार्च को पुरे विश्व में मनाया जाता है| वैसे तो महिलाओं के सम्मान के लिए यह दिन पुरे विश्व में प्रशिद्ध है, पर आज भी कई महिलाओं को अनेकों समस्याओं से जूझना पड़ता है| आज भी विश्व के कई देशों में खास कर भारत के अंदरूनी गांवों में महिलाओं की हालत आज भी वही जो कल हुआ करती थी| भ्रूण हत्या जैसे मसले आज भी भारत में काफ़ी चर्चित है| बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसे अभियान इन्ही मुद्दों के खिलाफ़ आवाज उठाने के लिए बनाये गए है| अवहेलना, भ्रूण हत्या और नारी की अहमियत न समझने के परिणाम स्वरूप महिलाओं की संख्या, पुरुषों के मुकाबले आधी भी नहीं बची है|

हर वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस पुरे विश्व में महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है| बीते सालों में वक़्त के साथ-साथ लोगो की सोच में भी काफ़ी बदलाव आया है| आज महिलाये पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलती है| जहाँ सभी घरों में लड़कियों की जल्दी शादी करा दी जाती थी, वही आज उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है| जहाँ ‘मलाला’ जैसी लडकियाँ शिक्षा के लिए पुरे पाकिस्तान से लड़ बैठी तो वही प्रियंका चोपड़ा जैसी अभिनेत्रियाँ हॉलीवुड में भी हमारे भारत का नाम ऊचाँ कर रही है| पर आज भी हमारे देश में ऐसे कई जगह और कई लोग है जिनकी सोच छोटी होने की वजह से आज महिलाओं के हालात बद से बत्तर है| आज उसी सोच को बदलने की जरुरत है ताकि हमारे देश की महिलाएं पूर्ण रूप से सुरक्षित हो सके|
महिलाऐं ही हमारे देश का गौरव है और नारी का सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है| ८ मार्च को पुरे विश्व में महिलाओं के सम्मान हेतु महिला दिवस मनाया जाता है| कहने को हमारे समाज में महिलाओं को पुरुषों से बराबरी का दर्जा दिया गया है| परन्तु आज भी भ्रूण हत्या और घरेलु हिंसा जैसे मसले पुरे देश में चर्चित विषय बना हुआ है| प्रतिदिन रेप के खबरों से अख़बार इस तरह सरोबर होता है मानो हमारे देश के युवा और बुजुर्ग महिलाओं की गुहार सुनना ही नहीं चाहते हो| आज समाज के अंधेरो में कैद महिला उजली सुबह की धूप ढूंड रही है| आज भी स्त्रियाँ अपने सम्मान के लिए लड़ती जा रही है और हमारा पुरुष प्रमुख समाज देखता जा रहा है| आएं सब मिलकर उनकी गुहार सुने और उन्हें समाज की बंदिशों से आजाद करें|
विश्व के समग्र विकास के लिए महिलाओं का विकास और उन्नति की प्रमुख धारा से जुडा होना अति आवश्यक है। महिलाओं की स्थिति समाज में जितनी महत्वपूर्ण, सम्मानजनक व सक्रिय होगी, उतना ही समाज उन्नत व मज़बूत होगा। पुराने काल से ही महिलाओं को करुणा, क्षमता और प्रेम की मूर्ति कहा जाता है| आज हमारे देश में महिला सशक्तिकरण का विषय काफ़ी चर्चित है| भारतीय महिलाओं को कानूनी और राजनैतिक बाधाओं का सामना इतना अधिक नहीं करना पड़ा जितना सामाजिक स्थिति का| ना ही सिर्फ भारत, पुरे विश्व में महिलाओं का शोषण सामाजिक स्तर पर किया जा रहा है| आज उन्ही बंदिशों को तोड़ महिलाओं के लिए खड़े होना है ताकि फिर से महिला दिवस मात्र एक दिवस की तरह ना मनाया जाए|
पुराने ज़माने से ही महिलाओं को परम्पराओं के संरक्षक के रूप में देखा जा रहा है| परन्तु यदि इन परम्पराओं के आड़ में उनका भविष्य दाँव पर लगने लगे तो इन्हें बदलने में कतई संकोचित नहीं होना चाहिए क्यूंकि परम्पराओं से हमारा देश बना है हम परम्पराओं से नहीं बने है| कई देशों में धर्म के नाम पर भी महिलाओं के अधिकार छीने जाते है, महिलाओं को शिक्षित होने से रोका जाता है| भारत सहित अनेक इस्लामी देशों में यह सबसे बड़ी समस्या है। यहाँ तक कि अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र में भी महिलाओं के प्रति होने वाली घरेलू हिंसा, दुराचार और शोषण की समस्याएँ अख़बार में आती रहती हैं। महिलाओं की सुरक्षा भी पुरे विश्व में एक बड़ा मुद्दा है| खास कर भारत में महिलाऐं बिलकुल सुरक्षित नहीं है| जिस दिन पुरे विश्व में महिलाओं को एक सुरक्षित नागरिक के तेहत देखा जाएगा उसी दिन सही मायने में महिला दिवस मनाया जाएगा|

इतिहास महिलाओं के बुलंदियों और हौसलों का गवाह है| इंदिरा गाँधी और कल्पना चावला से लेकर पिटी उषा और किरण बेदी जैसी महिलाओं ने इस पुरुष प्रधान समाज में अपनी दृढ़ता से बड़े-बड़े कीर्तिमान हासिल किए| किसी ने अंतरिक्ष की उचाईयों को छुआ तो किसी ने राजनितिक बुलंदियों को| इस महिला दिवस पर उन्हें याद करे जिनके आत्मविश्वास ने हमारे देश का नाम पुरे विश्व में रौशन किया है| शोभना भरतिया, चंदा कोचर, अरुंधति भट्टाचार्य और किरण मुजूमदार शॉ यह चार ऐसे नाम है जिन्होंने वैश्विक स्तर पर भारत की गरिमा में चार चांद लगाए हैं और फोर्ब्स द्वारा विश्व की 100 शक्तिशाली महिलाओं की सूचि में अपना नाम दर्ज करवाया है| खेल में भी महिलाओं ने अपना परचम बखूबी लहराया है| सानिया मिर्जा और सान्या नेहवाल से लेकर अश्विनी वासकर और दीपिका पवालिकर जैसे खिलाड़ियों ने अपने-अपने खेलों में अपना नाम रोशन किया है| अभिनय के छेत्र में प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण समेत कई अभिनेत्रियों ने हॉलीवुड में नाम कमा पुरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई है| इस महिला दिवस पर खुद को नारों, भाषणों, सेमिनारों और आलेखों में उड़ेलने के बजाए महिलाओं के उन्नति के बारे में कुछ करे ताकि पुरे विश्व में महिलाऐं अपनी आवाज बुलंद कर पाए|
वैसे तो हर वर्ष ८ मार्च को अतंर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है, पर क्या हम महिला दिवस मानाने के लिए आज भी तैयार है| हमारे देश में ऐसे कई मसले है जिनको हमारी सरकार या कह सकते है हमारी जनता ही सुलझाने में असमक्ष रही है| उनमे से कई मसले महिलाओं के है जिसमे घरेलु हिंसा, भ्रूण हत्या और रेप जैसे संगीन जुर्म शामिल है| आज कहने को हमारा देश काफ़ी विकसित हो गया है, परन्तु महिलाओं की स्थिति आज भी वही है जो कल थी या कह सकते है कि उससे भी दयनीय है| भ्रूण हत्या जैसे मसले आए दिन अख़बार में आते रहते है, लोग अफ़सोस जता कर भूल जाते है पर क्या किसी ने उस नाजुक सी जान की गुहार सुनने की कोशिश की जिसे समाज ने बेटे की आड़ में जन्म ही नहीं लेने दिया| ना ही सिर्फ भ्रूण हत्या, घरेलु हिंसा भी महिलाओं की इस दयनीय स्थिति का जिम्मेदार है| दहेज़ लेने और देने जैसे नीच कार्य की वजह से महिलाओं पर हो रहे अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे है| हमारे देश की युवा पीढ़ी भी इन सभी कार्यों से लिप्त दिखाई दे रही है| भारत धर्मो और पुरानों के लिए जाना जाता है| हमारे देश में देवी की पूजा भी की जाती है और सम्माननीय नारियों और देवियों को नतमस्तक प्रणाम भी किया जाता है| परन्तु फिर अगले ही पल उन्ही देवियों की रक्षा नहीं की जाती है| जिस दिन हमारे देश के पुरुष महिलाओं के प्रति अपनी वफादारी और सम्मान को जागरूक करेंगे उसी दिन से सही मायने में महिला दिवस मनाया जा सकता है|
इस महिला दिवस पर क्यों ना सारी उन कड़वी बातों को भुला कर, उनको याद करे जिन्होंने मेहनत और लग्न से महिलाओं का नाम पुरे देश में रोशन किया| आपमें से कई लोग यह नहीं जानते होंगे कि डिशवॉशर, अदृश्य कांच और सरक्यूलर सॉ ब्लेड जैसे अनेक अविष्कार महिलाओं द्वारा किए गए है| ना की सिर्फ अविष्कार परन्तु महिलाओं ने अनेक क्षेत्रों में अपना लोहा मनवाया| जहाँ बॉडी बिल्डिंग बनाना सिर्फ पुरुषों का सपना हुआ करता था वही आज अश्विनी वासकर जैसी लड़कियाँ पुरे विश्व में मिसाल है| 32 वर्षीया अश्विनी के लिए इस क्षेत्र को अपनाना आसान नहीं था परन्तु अपने अन्दर की अभिलाषा को कभी ना मरने देने के जुनून ने आज अश्विनी वासकर का नाम पुरे विश्व में परिचित किया| आर्थिक क्षेत्रों में भी हमारी देश की महिलां पुरुषो के बराबरी कर रही है| एसबीआई की 15००० शाखाओं की शीर्ष नेता ‘अरुंधति राय’ को फोर्ब्स मैगजीन द्वारा जारी साल 2015 की 100 शक्तिशाली महिलाओं में 30वें स्थान के लिए चुना गया| ऐसी ही कई महिलाओं के दृढ संकल्प के कारण आज भारत की महिलाओं का नाम पुरे विश्व में प्रशिद्धि प्राप्त कर रहा है|
क्यों सिर्फ एक दिन ही महिलाओं के सम्मान के लिए मनाया जाता है? क्यों आज भी महिलाऐं उन चार दीवारियों से बंद नजर आती है? क्यों आज भी कई महिलाऐं उजली सुबह की धूप के लिए तरसती है? क्यों हमेशा से ही महिलाओं को उनके शरीर के लिए जाना जाता है? क्यों छोटी सी जान को आँखें खोलने से पहले ही मार दिया जाता है? क्यों आज भी लड़कियों को बोझ समझ कर जल्दी शादी कर दी जाती है? ऐसे अनगिनत सवालों के जवाब आज तक नहीं मिल पाए है| हम सभी मनुष्यों की प्रगति में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है| कभी माँ बनकर तो कभी बेटी बनकर, कभी बहन बनकर तो कभी पत्नी बन कर, जीवन के हर मोड़ पर महिलाओं के अनेकों रूप ने हमारा साथ दिया है| आज उन्ही महिलाओं की इज्जत करने में हम क्यों पीछे रह जाते है? चलो आज उन्ही महिलाओं का सम्मान करते है, चलो आज फिर से उनको प्रणाम करते है|
इस पुरे संसार को रचने वाली महिला हमारे अपनेपन का सबसे बड़ा कारण है| एक परिवार में यदि माँ और बहन ना रहे तो घर बहुत सुना लगता है| कभी रसोई के बर्तनों की आवाज उनकी याद दिलाती है तो कभी मसाले की महक दिल को छु जाती है| कभी बचपन की शैतानिया आँखे भर देती है तो कभी छोटी सी चॉकलेट भी मन मोह लेती है| जिंदगी के अनेकों खुबसूरत रंगों की तरह है नारी का सम्पूर्ण संसार| अपने ममता और धैर्य के लिए प्रशिद्ध महिलाऐं ना ही सिर्फ अपने परिवार का ध्यान रखती है बल्कि अपने सपनों को भी पूरा करने के लिए जी जान लगा देती है| हमारे देश में ऐसे कई उदाहरण है जिन्होंने अपनी वैवाहिक और पारिवारिक जीवन के साथ ही अपने लक्ष्य को भी प्राप्त किया है| कला की क्षेत्र में फराह खान, ऐश्वर्या राय और करीना कपूर जैसे कई नाम है जिन्होंने पारिवारिक जीवन के साथ-साथ ही अपने लक्ष्य और अपने इरादों को जिन्दा रखा| इतिहास में भी महिलाओं के कई कीर्तिमान है जिसे आज भी बड़े गर्व से याद किया जाता है| महारानी लक्ष्मी बाई और महारानी पदमिनी जैसी महिलाओं को उनके साहस और धैर्य के लिए आज भी सत्-सत् नमन किया जाता है| इस महिला दिवस के अवसर पर आओ आज उन्ही महिलाओं के साहस को सलाम करते है और उनकी इज्जत करते है|
विश्व भर में ८ मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है| महिला दिवस मानाने के पीछे महिलाओं का सम्मान करना एक मात्र कारण है, और हम उसी एक कारण को दिन प्रतिदिन भूलते चले जा रहे है| आज भी महिलाओं को उनकी प्रतिभा से ज्यादा उनके शरीर के लिए जाना जाता है| प्राचीन काल में भी महिलाओं को राजाओं द्वारा ख़रीदा जाता था या यह कह सकते है कि उनके सौदे किए जाते थे| आज सिर्फ कार्य करने के तरीकों में बदलाव आया है वरना आज भी दहेज़ प्रथा का पालन पुरे होशो-हवाश में किया जाता है| दहेज जैसी नीच प्रथा के कारण आज कई महिलाऐं घरेलु हिंसा का शिकार हो रही है| छेड़-छाड़ के कई मामले पुलिस थानों में रोज दर्ज होते है और रोज नजरअंदाज कर दिए जाते है| ऐसे महिला दिवस का क्या फायदा जहाँ रोज रेप की खबरों से अख़बार और न्यूज़ चैनल सराबोर रहे| जिस दिन बंद खिड़कियों से झाकती लड़किया आजाद होंगी, जिस दिन आधी रात में भी महिलाऐं सुरक्षित होंगी, जिस दिन महिलाओं की पहचान उनके काया से नहीं उनकी साहस और मेहनत से होगी, जिस दिन लड़कियों को बोझ नहीं समझा जाएगा और जिस दिन दहेज़ जैसी प्रथा से महिलाऐं मुक्त होंगी उसी दिन सही मायनें में महिला दिवस मनाये जाने का हक हम सभी को प्राप्त होगा|

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