आँखों की रोशनी कैसे बढ़ाएं

वैष्णव पत्रिका :- आज हर व्यक्ति के लिए स्वस्थ और तंदरुस्त रहना बहुत जरूरी है परन्तु काम काज ज्यादा होने के कारण व्यक्ति को स्वयं पर ध्यान देने का समय भी नहीं मिल पाता और इसके साथ अगर आँखों की रोशनी होने लगे तो आँखों से संबंधित कई परेशानिया उठानी पड़ सकती है। यदि आपकी आँखों की रोशनी कमजोर है और आपको इसके कारण देखने में तकलीफ होती है तो आपको शारीरिक रूप से कोई कमज़ोरी भी हो सकती है । कई बार लोगो को लगातार काम करते-करते ज्यादा समय हो जाता है और फिर उनकी आंखे थक सी जाती है इस कारण से उन्हें कम दिखाई देने लगता है इस वजह से आंखे कमजोर पड़ जाती है लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बताएँगे जिससे आप अपनी आँखों की देखभाल आसानी से कर सके।

समय पर सही आहार ले
आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए समय पर सही आहार लेना बहुत ज़रुरी है जिसमे सभी प्रकार की हरी सब्जी शामिल हो हरी सब्जी पोषक तत्वों से भरपूर होती है और आँखों की रोशनी को तेज करते है।

पलकें झपकाना
आज के समय में जो लोग लगातार लैपटॉप, कंप्यूटर या फिर मोबाइल का उपयोग करते है वह अपनी पलकों को बार-बार नहीं झपकाते है उन्हें काम करते समय थोड़ी-थोड़ी देर में पलके झपकाते रहना चाहिए। इससे आंखे तनाव मुक्त और ताज़ा रहती है जिससे आँखों को आराम भी मिलता है।

पूरी नींद लेना
पूरी नींद लेने से आपकी आँखों के साथ-साथ आपके पुरे शरीर को भी आराम मिलेगा और कभी भी सिर दर्द, थकान, आँखों में धुँधला पन महसूस नहीं होगा और सबसे ज्यादा आपकी आँखों की मांसपेशियों को आराम मिलेगा जिससे आंखे हमेशा स्वस्थ रहेगी।

पानी के छींटे मारना
आँखों में डिहाइड्रेशन ना हो इसलिए ठंडे पानी से अपनी आँखों पर छींटे मारना चाहिए इससे आंखे हमेशा साफ रहेगी अगर आप कही बाहर से या लम्बे सफर से आ रहे हो तो घर जाकर ठंडे पानी से एक बार अपनी आंखे ज़रूर धोये। वैष्णव पत्रिका :-

 तनोट माता का मन्दिर

 वैष्णव पत्रिका :- तनोट माता का मन्दिर जैसलमेर जिले से लगभग एक सौ तीस कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित हैं। तनोट राय को हिंगलाज देवी का अवतार कहा जाता है। हिंगलाज माता जो वर्तमान में बलूचिस्तान जो पाकिस्तान में है , वहाँ स्थापित है। भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने तनोट का मंदिर बनवाकर मूर्ति को स्थापित किया था। इसी बीच भाटी तथा जैसलमेर के पड़ौसी इलाकों के लोग आज भी इस माता जी को पूजते हैं।

पाक ने तनोट मंदिर के पास बरसाए तीन हजार गोले :- जैसलमेर में भारत पाक सीमा पर बने तनोट माता के मंदिर से भारत पाकिस्तान युद्ध 1965 की घटना हैं। यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के जवानो के लिए भी आस्था का केन्द्र रहा है। 1965 के भारत पाक युद्ध से माता का यशगान और अधिक बढ गया जब पाक सेना ने भारतीय सीमा के अन्दर भयानक बमबारी करके लगभग 3000 हवाई और जमीनी गोले दागे, लेकिन माता की कृृपा से एक भी गोला नहीं फटा। इस घटना के गवाह के तौर पर आज भी मंदिर परिसर में 450 गोले रखे हुए हैं, जो युद्ध के बाद मंदिर के पास की जमीन में दबे मिले थे।

खुद के सैनिकों पर ही हमला करने लगी पाक सेना :- पाक सेना 4 किलोमीटर अंदर तक घुस आई थी, लेकिन युद्ध देवी के नाम से प्रसिद्ध तनोट माता के चमत्कार के कारण पाक सेना को न केवल उल्टे पांव लौटना पड़ा बल्कि अपने सौ से अधिक सैनिकों के शवों को भी छोड़कर भागना पड़ा। तनोट माता के बारे में कहा जाता है कि युद्ध के समय माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस कदर उलझा दिया था कि रात के अंधेरे में पाक सेना अपने ही सैनिकों को भारतीय सैनिक समझकर उन पर गोलाबारी करने लगे थे।

भारत-पाक युद्ध 1971 में दिखाया चमत्कार :- 1971 के युद्ध में भी पाकिस्तान की सेना ने फिर हमला किया था, परन्तु 1965 की ही तरह उन्हें फिर से मुंह की खानी पड़ी। उनके टैंक यहां मिट्टी में फंस गए थे, जिन्हें बाद में भारतीय वायु सेना बमबारी करके धवस्त कर दिया था। तनोट राय माता की प्रचंड शक्ति को देखकर पाक सेना के कमाण्डर शहनवाज खां ने युद्ध समाप्ति के बाद भारत सरकार से माता के दर्शन की इजाजत मांगी। ढाई वर्ष बाद इजाजत मिलने पर शहनवाज खां ने तनोट माता के दर्शन कर मंदिर में छत्र चढ़ाया। जैसलेमर में सरहद पर लगभग 1200 साल पुराने तनोट माता के मंदिर के महत्व को देखते हुए बीएसएफ ने यहां अपनी चौकी बना रखी है। इतना ही नहीं बल्कि मंदिर आरती व देखरेख भी बीएसएफ के जवान ही करते हैं।  वैष्णव पत्रिका 

 

चूहों वाली माँ करणी देशनोक

वैष्णव पत्रिका :- राजस्थान का ऐतिहासिक नगर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर देशनोक स्थित करणी माता का मंदिर हैं यह चूहों वाला मंदिर के नाम से भी विख्यात हैं। करणी माता, जिन्हे की भक्त हिंगलाज माता का अवतार मानते है इनका जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था । उनका बचपन का नाम रिधुबाई था । रिधुबाई का विवाह साठिका गाँव के किपोजी चारण हुआ लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से उब गया इसलिए उन्होने किपोजी चारण की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवाकर खुद को माता की भक्ति और लोगों की सेवा में लगा दिया । जनकल्याण, अलौकिक कार्य और चमत्कारिक शक्तियों के कारण रिधु बाई को करणी माता के नाम से स्थानीय लोग पूजने लगे।

वर्तमान में जहाँ यह मंदिर स्थित है वहां पर एक गुफा में करणी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा करती थी । यह गुफा भी मंदिर परिसर में स्थित है । कहते है करनी माता 151 वर्ष जिन्दा रहकर 23 मार्च 1538 को ज्योतिर्लिन हुई थी । उनके ज्योतिर्लिन होने के पश्चात भक्तों ने उनकी मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा शुरू कर दी जो की तब से अब तक निरंतर जारी है ।

महाराजा गंगासिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण

करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी । कहते है की उनके ही आशीर्वाद से बीकानेर और जोधपुर रियासत की स्थापना हुई थी । करणी माता के वर्तमान मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगासिंह ने बीसवीं शताब्दी के शुरूआत में करवाया था । इस मंदिर में चूहों के अलावा, संगमरमर के मुख्य द्वार पर की गई उत्कृष्ट कारीगरी मुख्य द्वार पर लगे चांदी के बड़े – बड़े किवाड़, माता के सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए रखी चांदी की बहुत बड़ी परात भी मुख्य आकर्षण है ।

एकमात्र मंदिर जहां होती है चूहों की पूजा

यदि हम चूहों की बात करे तो मंदिर के अंदर चूहों का एक छत्र राज है । मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही हर जगह चूहे ही चूहे नज़र आते है । चूहों की अधिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की मंदिर के अंदर मुख्य प्रतिमा तक पहुंचने के लिए आपको अपने पैर घसीटते हुए जाना पड़ता है । इस चूहों को ज्यादा पवित्र माना जाता है । मान्यता है की यदि आपको सफेद चूहा दिखाई दे गया तो आपकी मनोकामना अवश्य पूर्व होगी।

इस मंदिरो के चूहों की एक विशेषता और है की मंदिर में सुबह 5 बजे होने वाली मंगला आरती और शाम को 7 बजे होने वाली संध्या आरती के वक्त अधिकांश चूहे अपने बिलो से बाहर आ जाते है । इन दो वक्त चूहों की सबसे ज्यादा धामा चौकड़ी होती है । यहां पर रहने वाले चूहों को काबा कहा जाता है । माँ को चढ़ाये जाने वाले प्रसाद को पहले चूहे खाते है फिर उसे बाआ जाता है । चील, गिद्ध और दूसरे जानवरो से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानो पर बारीक जाली लगी हुई है ।

करणी माता के बेटे माने जाते है चूहे करणी माता मंदिर में रहने वाले चूहे माँ की संतान माने जाते है करणी माता की कथा के अनुसार एक बार करणी माता का सौतेला पुत्र (उसकी बहन गुलाब और उसके पति का पुत्र) लक्ष्मण कोलायत स्थित कपिल सरोवर में पानी पीने की कोशिश में डूब कर मर गया । जब करणी माता को यह पता चला तो उन्होंने, मृत्यु के देवता यम को उसे पुनः जीवित करने की प्रार्थना की । पहले तो यमराज ने मना किया पर बाद में उन्होंने विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनर्जीवित कर दिया । वैष्णव पत्रिका 

बालों को लम्बा करने के घरेलू उपाय

वैष्णव पत्रिका:- प्रत्येक महिला को अपने बालों से बहुत प्यार होता हैं। सभी को अपने बाल लंबे, गहरे, सुंदर, चमकदार और मजबूत चाहिए लेकिन आज कि इस भागदौड़ भरी जिंदगी, प्रदूषण और खान-पान से ज्यादातर सभी महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या पाई जाती है। ब्यूटी पार्लर जाकर अपने बालों को सुंदर और स्वस्थ बनाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता। अगर आप भी यही चाहती हैं कि आपके बाल सुंदर, स्वस्थ, घने और लंबे हो तो आप यहां बताए हुए कुछ घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं।

1. बादाम का तेल और केला
बादाम का तेल और केला बालों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। आप बादाम और केले को मिलाकर हेयर मास्क तैयार कर सकती हैं। इस मिश्रण को आप अपने घर पर ही तैयार कर सकती हैं जो कि आपके बालों को घने और मजबूत बनाने में आपकी मदद करेगा।

यह एक बहुत ही आसान विधि है। आइये जाने:

इसमें आप एक पका हुआ केला और 15 मी. लीटर बादाम का तेल लेकर दोनों को अच्छी तरह से मिला ले।
फिर इसे बालों में लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें।
आधे घंटे बाद बालों में शैंपू कर लें।
यह हेयर मास्क आपके बालों को पोषण देने के साथ-साथ चमकदार भी बनाएगा।

2 . नारियल का तेल
अक्सर देखा गया है कि सर्दी के मौसम में सभी के बालों में डैंड्रफ और रूखापन की समस्या बहुत परेशान करती है परंतु आप अपने बालों और सिर में नमी बनाए रखने के लिए गुनगुने नारियल के तेल की मसाज कर सकती हैं। इससे आपके बालों में डैंड्रफ तो दूर होगा ही साथ ही है प्राकृतिक रूप से आपके बालों को पोषण मिलेगा।

3. जैतून का तेल व नींबू का रस
बालों को मजबूत और लंबे बनाने के लिए विटामिन ई सबसे आवश्यक पोषक तत्व माना जाता है और जैतून के तेल व नींबू में आवश्यक विटामिन ई पाया जाता है। आप एक कटोरी में 10 मिली लीटर नींबू के रस में 10 मिली लीटर जैतून का तेल मिलाकर इसे अपने बालों में अच्छी तरह से लगा ले और फिर 20 मिनट के बाद बालों को शैंपू कर ले। यह एक बहुत ही कारगर उपाय है बालों की मजबूती बनाए रखने का और उन्हें घना लंबा करने का।

4. सेब का सिरका
जैसे-जैसे आप अपने बालों को धोती है वैसे-वैसे आपके बालों से प्राकृतिक तेल दूर होता चला जाता है और आपके बालों में खासकर सर्दियों के मौसम में डैंड्रफ और खुश्की हो जाती है परंतु आप इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सेब के सिरके का सहारा ले सकती है।

यह बालों से गंदगी, धूल और शैंपू डिटर्जेंट को दूर करता है और बालों के पीएच स्तर को नियंत्रित करता है। साथ ही बालों को झड़ने से भी रोकता है। पहले आप पहले बालों को शैंपू कर लें और फिर सेब के सिरके को पानी में मिलाकर आखिर में इससे अपने बालों को धोएं। वैष्णव पत्रिका:-