खेल में भारत का नाम रोशन करने वाली त्रिदेवियाँ

देश की बेटी दीपा करमाकर
वैष्णव पत्रिका :- दीपा करमाकर का जन्म ९ अगस्त १९९३ में त्रिपुरा के अगरतला में हुआ। इनके पिता दुलाल करमाकर वेट लिफ्टिंग में कोच है जबकि माता गृहणी है । दीपा का जिमनास्ट में बचपन से ही लगाव था यही वजह है कि उन्होंने मात्र ६ साल की उम्र में टे्रनिंग लेनी शुरू कर दी थी । दीपा ने जब टे्रनिंग लेना शुरू किया तब उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा । उनके पैरके तलवे एकदम समतल थे, जो जिमनास्ट के लिए अच्छे नहीं होते, इससे उनकी परफॉरमेंस में कूदना, भागना पर फर्क पड़ता । इसके बाद भी दीपा के इरादों को कमजोर नही पड़े व्यापक प्रशिक्षण के माध्यम से दीपा अपने पैर को विकसित करनें में सक्षम हो पाई । दीपा ने २०११ में नेशनल गेम्स ऑफ इंडिया में त्रिपुरा का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्ड मैडल जीता । २०१४ के कॉमनवेल्थ गेम्स में दीपा ने ब्रोंज मैडल हासिल किया । जापान के हिरोशिमा में २०१५ में आयोजित एशियन चैम्पियनशीप में भी दीपा ने महिला वोल्ट में ब्रोंज मैडल अपने नाम किया । २०१६ के रियो ओलपिक में दीपा हालाकि चौथे स्थान प्राप्त कर मैडल से चूक गई लेकिन अपने खेल कौशल से देश के लोगों का दिल जीत कर सुखियों में आई ।

देश को रजत दिलाने वाली पी.वी. सिंधु

पी.वी. सिंधु भारत की विश्व वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और 2016के रियो ओलम्पिक में सिल्वर पदक जीतने के बाद से पूरे देश में चर्चा में हैं। यह कारनामा करने वाली वे भारत की पहली खिलाड़ी बन चुकी हैं। पी.वी. सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है। सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हुआ था। उनके पिता का नाम पी.वी. रमण है और मां का नाम पी. विजया है। सिंधु के पिता वालीबाल के राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं, उन्हें वर्ष 2000 में भारत सरकार का अर्जुन पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। उन्होंने 2009 में कोलंबों में आयोजित सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद सन 2010 में इन्होंने ईरान इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में भी रजत पदक जीता। इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप और थॉमस और यूबर कप में भी भारत की ओर से खेलीं और साहसिक प्रदर्शन किया। दिस्म्बर 2013 में ही पी. वी. सिंधु ने भारत की 78वीं सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप का महिला सिंगल खिताब भी अपने नाम किया। वर्ष 2013 में सिंधु को अर्जुन पुरस्कार, वर्ष 2014 में एफआईसीसीआई का महत्वपूर्ण खिलाड़ी सम्मान तथा एनडीटीवी इंडियन ऑफ़ द ईयर 2014 मिले। वर्ष 2015 में सिंधु को भारत का चौथा सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री भी प्राप्त हुआ। 2016में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित ओलम्पिक खेलों में सिंधु ने भारत की ओर से खेलते हुए अपना सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन किया। सिंधु ने महिला एकल स्पर्धा के सेमीफाइलन में जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को सीधे सेटो में हराकर फाइनल में जगह बनाई। हालांकि सिंधु फाइनल में विश्व की प्रथम वरीयता प्राप्त खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मैरिन से पार नहीं पा सकीं, लेकिन रजत पदक जीत कर भी इन्होंने भारत के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया।

भारत की महिला पहलवान साक्षी मलिक
साक्षी मलिक का जन्म ३ सितम्बर १९९२ को मोखरा के रोहतक हरियाणा में हुआ । इनके पिता का नाम सुखबीर मलिक और माता का नाम सुदेश मलिक है । साक्षी को बचपन से ही रेसलिंग से लगाव था, साक्षी के दादा भी अपने समय के रेसलर थे । साक्षी ने रेसलिंग की टे्रनिंग १२ साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी । साक्षी ने २०१० में जूनियर वल्र्ड चैम्पियनशीप में ५८ किलोग्रम में कास्यं पदक जीता । इसके साथ ही २०१४ में अन्तराष्ट्रीय तौर पर पहचान बनाते हुए डेव इंटरनेशनल रेसलिंग टूर्नामेंट में ६० किलोग्राम में गोल्ड मैडल जीता था । रियो ओलंपिक में जाने के लिए साक्षी को मई २०१६ में इन्स्तांबुल में वल्र्ड ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में भाग लेना पड़ा । यहां उन्होंने चाइना की जहाँग लेन को हराकर रियो ओलपिंग में अपने जाने के रास्ते खोल लियें । आखिर कार मेहनत रंग लाई और साक्षी ने कास्यं पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया ।

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