हम सब सेहत का कितना भी ख्याल क्यों न रखते हों, पर वायरस कहीं न कहीं से शरीर में घुसने का रास्ता ढूंढ़ ही लेते हैं। मामला स्वाइन फ्लू का हो, तो दिक्कत और बड़ी होती है, क्योंकि यह वायरस बहुत जल्दी फैलता है। इसलिए जरूरी है कि इसके प्रति विशेष सावधानी बरती जाए। स्वाइन फ्लू साल 2009 में भारत में कदम रखने के बाद से ही कई जानें ले चुका है। इसका प्रकोप 10 साल बाद भी कोई खास कम नहीं हुआ है। साल 2019 का दूसरा महीना ही चल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों की मानें, तो सिर्फ इस साल में ही इसका वायरस 250 से अधिक जानें ले चुका है। राजस्थान से 96 तो गुजरात से 54 मौतें दर्ज की गई हैं। दिल्ली में 28, पंजाब में 30, मध्य प्रदेश में 16 और महाराष्ट्र में 13 मौतों के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा रजिस्टर केसों की संख्या तो इससे भी ज्यादा है। ये आंकड़े डराने के लिए नहीं हैं, बल्कि ये तो सावधानी बरतने के लिए आगाह करते हैं। स्वाइन फ्लू की चपेट में आने से अच्छा है कि बचाव के नियम अपना लिए जाएं। बचाव की राह पकड़ना तब और जरूरी हो जाता है, जब आपका कोई खास इस फ्लू की चपेट में आ गया हो। जरूरी है कि जब आप इस फ्लू के मरीज से मिलें, तो कुछ खास बातों का ध्यान रखें, जिससे स्वाइन फ्लू का आप पर असर हो ही न पाए।
स्वाइन फ्लू पहली बार में किसी भी दूसरे फ्लू जैसा ही महसूस होता है। इसलिए इसे साधारण शारीरिक दिक्कत मानकर ज्यादातर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। पर ऐसा करना गलत है।
लक्षण पहचान लें
बहुत तेज बुखार रहना।
कफ होना।
नाक बहना।
बदन में दर्द रहना।
सिर दर्द होना।
बहुत ज्यादा थकावट महसूस होना।
बार-बार उल्टी होना आदि।
सांस की दिक्कत एक ऐसा लक्षण है, जो स्वाइन फ्लू को दूसरे वायरल से अलग करता है। दरअसल, स्वाइन फ्लू श्वास के पूरे तंत्र पर असर डालता है। इससे फेफड़े भी प्रभावित होते हैं, सांस लेने में तकलीफ होती है, वो अलग। दूसरे वायरल से स्वाइन फ्लू ऐसे भी अलग होता है कि दूसरा वायरल हमला करेगा, तो 3 से 5 दिन बाद सांस की दिक्कत हो सकती है, लेकिन स्वाइन फ्लू में सांस पर हमला तुरंत होता है। मतलब आप इस फ्लू के किसी मरीज से मिलकर आए हैं और सांस की दिक्कत हो रही है, तो मान लीजिए कि आपको स्वाइन फ्लू होने की पूरी आशंका है।
आयुर्वेद के हिसाब से स्वाइन फ्लू से बचे रहने के लिए जरूरी है कि ठंडी और खट्टी चीजों से दूर रहें। ऐसे मौसम में गुनगुना पानी पीते रहने से भी लाभ होता है। ये दोनों काम ऐसे हैं, जिन्हें इस मौसम में हर किसी को करते रहना चाहिए। इससे हर स्थिति में बचाव होता है। यह भी याद रखें कि अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ मानसिक तौर पर खुद को मजबूत करें। इसके लिए योग आदि की भी सहायता ले
सकते हैं।
इन बातों पर भी ध्यान दें
एक छोटे लाल कपडे में कपूर, इलायची और लॉन्ग तीनो को रखकर बांधले इसे थोड़ी थोड़ी देर में सूंघते रहे जिससे आपको स्वाइन फ्लू अपनी चपेट में ले नहीं पायेगा।
स्वाइन फ्लू के मरीज से मिलने जाएं, तो अपने साथ कर्पूर जरूर रखें। साफ रुमाल में थोड़ा सा कर्पूर रख लें और थोड़ी-थोड़ी देर में इसे सूंघते रहें। इस तरह से वायरस नहीं असर करेगा।
सुदर्शन घनवटी नाम की दवा भी कमाल करेगी। इसकी दो-दो गोलियां पांच दिनों तक लें, काफी लाभ होगा।
गिलोय की गोलियां भी ले सकते हैं, जो आपकी प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त करेंगी।
लक्ष्मी विलास रस, संशमनी वटी, त्रिभुवन कीर्ति की गोलियां 5 से 7 दिन तक दिन में तीन-तीन बार गुनगुने पानी से लें, तो भी आप खुद को स्वाइन फ्लू से सुरक्षित रख सकते हैं।
दूध में हल्दी डाल कर नियमित रूप से रात में पिएं।
तुलसी, अदरक, काली मिर्च का काढ़ा या चाय पिएं।
फ्लू के मरीज से मिलने के बाद अपने हाथ और मुंह अच्छे से धोएं।
कपड़े आरामदेह पहनें। बेहतर रहेगा, अगर कॉटन के कपड़े पहनें।
नमी वाली जगह पर ज्यादा ना रहें।
घर के आस-पास नीम की पत्तियों को जलाएं। इसका धुआं ऐसे वायरस से बचाव करता है।