वैष्णव पत्रिका :- परिश्रम और भाग्य दोनों सफलता के साधन हैं लेकिन भिन्न-भिन्न व्यक्ति इसे विभिन्न तरीकों से व्यक्त करते हैं कुछ अपनी सफलता का श्रेय कठिन परिश्रम को देते हैं तो कुछ अपने भाग्य को। शास्त्रों की मानें तो परिश्रम और भाग्य का गहरा नाता हैं जिसे वेदों की भाषा में कर्म और भाग्य की संज्ञा दी गई हैं। भाग्य से कर्म सिद्व होता हैं और कर्म से भाग्य परमसिद्व माना गया हैं। भागवत् के अनुसार जीव की उत्पति उसकी सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए की गई हैं और समय-समय पर ऐसे भाग्योदय और कर्मोदय के कई चमत्कार हमें अपने जीवन में देखनें को मिलते हैं ऐसे ही भाग्य और कर्म पूर्ण आस्था रखने वाले व्यक्तित्व के धनी हैं सुधीश शर्मा जिससे कि वैष्णव पत्रिका आपका परिचय करवा रही हैं। सुधीश शर्मा वर्तमान में सीए एसोसियेशन के चेयरमैन पद पर निर्वाचित हुये हैं । मध्यम परिवार में जन्में सुधीश अपने जीवन में भाग्य और कर्म दोनों की वास्तिवकता को स्वीकार करते हैं सुधीश का मानना हैं कि परिश्रम कभी कठिन नहीं होता बल्कि कमजोर इच्छा शक्ति किसी भी कार्य को कठिन बनाती हैं और उस पर किया जाने वाला परिश्रम कठिन परिश्रम का रूप ले लेता हैं। शर्मा एक सीए प्रोफेशनल के रूप में लम्बें समय से सेवारत हैं और कई स्कूलों और शिक्षण संस्थाओं को अपनी निस्वार्थ सेवायें वर्कशॉप और व्याख्यान के माध्यम से उपलब्ध करवातें हैं। शर्मा का कहना हैं कि दूसरे शहरों की तुलना बीकानेर में सीए की शिक्षा प्राप्त करना अधिक उपयोगी हैं क्योंकि यह कम लागत का शहर हैं। युवाओं के बारें जब चर्चा हुई तो शर्मा ने बताया कि नई पीढ़ी हर प्रयोग बाय चांस नहीं बल्कि बाय चॉइस कर रही हैं जो कि सकारात्मकता और सफलता का प्रतीक हैं। बी एम डागा के सानिध्य में शर्मा ने अपनी लेखांकन शिक्षा को संपूर्ण किया और अपना कार्यालय अपने बैडरूम को ही बना बैठे। चैयरमेन शर्मा ने जब अपने प्रोफेशन की शुरूआत कि तब उनके पास अपना कार्यालय खोलने की जगह का अभाव था तो उन्होंने अपना कार्यालय अपने बैडरूम को ही बना लिया और अनवरत यह क्रम चलता रहा। कुछ समय पश्चात् उनके परिचित किसी मिलन परिवार ने उनका कार्यालय बनवाया। शर्मा का मानना हैं कि जब आपका धर्म हरेक व्यक्ति की सहायता करने का होता हैं तब प्रकृति आपको हर एक ऐसा व्यक्ति उपलब्ध करवाती हैं जो आपकी सेवा को तत्पर रहता हैं और ऐसा ही इनके साथ हुआ। शर्मा से मिलने वाला हर व्यक्ति इनका प्रिय हो जाता हैं क्योंकि शर्मा हर व्यक्ति के आपातकाल में साथी बनकर उसे संबल प्रदान करते हैं। वैष्णव पत्रिका ने जब सफलता के मंत्र पर कुछ जानना चाहा तो सुधीश ने बताया कि लगे रहो किसी भी कार्य में लगा रहना ही उसकी सफलता का मंत्र हैं। युवा पीढ़ी को शॉ ऑफ यानि दिखावें से दूर रहने कि सलाह देने वाले सुधीश को वैष्णव पत्रिका परिवार की ओर से उज्जवल भविष्य की मंगलकामनायें। शुभम् भवति। वैष्णव पत्रिका