क्या होती है बॉडी लैंग्वेज

वैष्णव पत्रिका :- बॉडी लैंग्वेज को हम एक ऐसी कला कह सकते है जिसका सीधा सम्बन्ध हमारी कामयाबी से होता है। या फिर यूँ कहे कि अगर हमारे पास एक अच्छी बॉडी लैंग्वेज नहीं है तो यह हमारी असफलता का कारण भी हो सकता है। अपनी बॉडी को सही स्थिति में रखना हमारी स्वास्थ्य पर भी असर करता है और इसका प्रभाव हमारी निजी और कामकाजी ज़िंदगी दोनों पर पड़ता है। तो जरूरी है कि हम इस असफलता को अपनी जिंदगी से दूर करें और एक अच्छी बॉडी लैंग्वेज और अच्छे व्यवहार के साथ सबको अपनी और आकर्षित करें।

कैसे सुधारें बॉडी लैंग्वेज
बॉडी लैंग्वेज को सुधारने के लिए निम्न बातो का ध्यान रखे।
1. आई कॉन्टेक्ट
दोस्तों किसी को देखने का हमारा तरीका अपने आप में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। आँखों के जरिए सामने वाले को हमारे आत्मविश्वास की जानकारी मिलती है। किसी से बाते करते समय हमें अपनी आँखों को सामने वाले से चुराना नहीं चाहिए, नहीं तो सामने वाले को लगेगा कि आप उसकी बातो में रुचि नहीं रखते हैं। देखते समय आपको यह भी ध्यान रखना है कि सामने वाले को यह महसूस ना हो की आप उसे घूर रहे हैं। आपको ऐसे दिखाना है कि आप उसकी बातों में बहुत गहनता से रुचि ले रहे हैं।

2. विनम्रता के साथ मिलना
जब भी आप किसी से मिले तो अपने चेहरे पर एक विनम्र भाव जरूर रखें। आपको सबसे पहले मिलने वाले इंसान के साथ विनम्रता से हाथ मिलाना है और बड़ी शालीनता के साथ उनका हाल चाल पूछना है फिर अपनी बात को आगे बढ़ाना है। इससे आप अपनी बात को एक अच्छी शुरुआत दे सकते है और यह एक अच्छी बॉडी लैंग्वेज को भी दर्शाता है।

3. दूरी बनाए रखें
जब भी हम किसी इंसान से मिलते हैं तब हम इस बात का खास ख्याल रखना है कि उससे बातें करते समय उचित दूरी बनाए रखें। अगर उसके बिल्कुल पास खड़े होकर हम उससे बाते करेंगे तो हो सकता है वह असहज महसूस करें और खुलकर बातें ना कर सके या फिर चिड़ जाए और बातें ही ना कर पाए।

4. झुकना नहीं चाहिए
आज के युग में ज्यादातर इंसान कंप्यूटर पर काम करता है जिसके कारण उससे झुककर काम करने की आदत पड़ गई है। किसी से भी बातें करते समय हमें खास ध्यान रखना है कि झुकना नहीं है और ना ही अपने हाथों पैरों को हिलाते हुए बातें करनी है। ऐसा करने से आपके प्रति उस व्यक्ति का नकारात्मक दृष्टिकोण बन सकता है।

5. हमेशा स्माइली फेस रखे
दोस्तों मुस्कुराता हुआ और खिलखिलाता हुआ चेहरा किसे पसंद नहीं है। जब भी आप किसी से मिलने जाते हैं तो अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कान रखें। किसी भी प्रकार का स्ट्रेस आपके चेहरे पर नजर नहीं आना चाहिए। जब भी कोई इंसान आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखेगा तो वह आपसे बातें करें बिना रह नहीं सकता और बिना किसी हिचक और परेशानी के सहजता के साथ आपसे बातें करेगा।

6. सकारात्मक रहने का प्रयास करे
जब भी आप किसी से मिलने जाएं तो अपने व्यवहार को सकारात्मक रखें। अगर आप अपने साथ नकारात्मकता को लेकर जाएंगे तो कोई इंसान आपसे प्रभावित नहीं हो सकता। अतः आपको प्रयास करना चाहिए जब भी आप किसी से मिले तो एक सकारात्मक उर्जा के साथ मिले, जिससे सामने वाला आपके सकारात्मक विचारों से आकर्षित हुए बिना न रह सके।

 

रविवार की कहानी

रविवार की कहानी, वैष्णव पत्रिका :- प्राचीन काल में एक बुढ़िया थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती। रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुनकर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती। सूर्य भगवान की अनुकंपा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिंता एवं कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था।

उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी। आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया। सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई।

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुंदर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई। गाय को आंगन में बांधकर उसने जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया। पड़ोसन ने उस बुढ़िया के आंगन में बंधी सुंदर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे और अधिक जलने लगी। तभी गाय ने सोने का गोबर किया। गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गईं।

पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न पाकर तुरंत उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई। सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। गाय प्रति दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर किया करती थी और बुढ़िया के उठने के पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी।

बहुत दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला। बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही। लेकिन सूर्य भगवान को जब पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई। आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया। सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा उसे बहुत आश्चर्य हुआ।

उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के अंदर बांधने लगी। सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनवान हो गई। उस बुढ़िया के धनवान होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई और उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उसे नगर के राजा के पास भेज दिया। सुंदर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ। सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

उधर सूर्य भगवान को भूखी-प्यासी बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई। उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा, राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरंत लौटा दो, नहीं तो तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा. तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा। सूर्य भगवान के स्वप्न से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया।

राजा ने बहुत-सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उनकी इस दुष्टता के लिए दंड दिया। फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत किया करें। रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए, राजतय में चारों ओर खुशहाली छा गई। स्त्री-पुरुष सुखी जीवन यापन करने लगे तथा सभी लोगों के शारीरिक कष्ट भी दूर हो गए। वैष्णव पत्रिका