वैभव और शान के प्रतीक राजस्थान के भव्य किले

वैष्णव पत्रिका:- राजस्थान अपने नाम से ही वैभव और शान का प्रतीक लगता है । हो भी क्या न इसके अलग-अलग जिलों में मौजूद किले इसकी शान में चार चांद तो लगाते ही है, साथ ही इसके ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाते है। राजस्थानी परम्परा तथा विरासत को खुद में संजोए ये किले वास्तव में ऐतिहासिक धरोहर है । आइए जानते है राजस्थान कुछ प्रमुख प्रसिद्ध किलों के बारे में :

जुनागढ़ किला बीकानेर-
राजस्थान के मरूस्थली जिले बीकानेर का जूनागढ़ किला राज्य के उन चुनिंदा किलों में से एक है जो अपनी अपराजेश शक्ति के कारण स्वाभिमान से खड़ा दिखाई देता है । आज भी गर्व से यह किला अपना इतिहास बयान करता है । इस किले का निर्माण बीकानेर रियास के राजपूत रायसिंह ने १५८८ से १५९३ के बीच कराया था । माना जाता है कि रायसिंह जी मुगल सम्राट के विश्वासपात्र और करीबियों में से एक थे । जूनागढ़ का किला एक तरफ ऊंची दीवार और दुसरी तरफ गहरी खाई से संरक्षित है । इस किले की सुरक्षा के लिए चारों ओर बनी प्राचीर में ३७ गढ़ है इस भव्य किलें के दो प्रवेश द्वार है सूरज पोल व करण पोल । इसके साथ ही इसमें स्थित चन्द्रमहल, अनूपमहल, बादल महल इसके भव्यता को चार चांद लगातेे है। जूनागढ़ वास्तव में रेगिस्तान में बने खूबसूरत दुर्गो में से एक है । जुनागढ़ दुर्ग के अलावा बीकानेर की संस्कृति, रहन सहन, खान-पान और भी प्रभावित करती है। यहां के सीधे सरल लोग आंखें से सीधे दिल में उतर जाते हैं। यहां आकर बीकानेर की प्रसिद्ध भुजिया और रसगुल्लेां का स्वाद लेना न भूलें। 02 03

आमेर का किला-
एक पर्वत के शिखर पर स्थित यह किला जयपुर का मुख्य पर्यटन आकर्षक है । असेर नगर का निर्माण मीणा वंश द्वारा करवाया गया था, और आगे चल कर राजा मान सिंह भी इसके शासक रहै थे । यह किला अपनी कलात्मक हिन्दु शैली के कारण प्रसिद्ध है । महल का सौंदर्य बोध उसकी दिवारों पर से झलकता है । लाल चूना पत्थर तथा संगमरमर से बने इस महल में दीवान-ए -आम, दीवन- ए -खास, शीश महल या जय मंदिर तथा सुख निवास मौजुद है । यह महल राजपूत राजाओं तथा उनके परिवारों की रिहायश हुआ करता था ।

रणथम्भोर का किला-
यह किला भी विश्व विरासत स्थलों में शुमार है और यह सवाई माधोपुर के निकट स्थित है । सवाई माधोपुर एक छोटा नगर है जहां रणथम्भारे का किला विध्य तथा अरावली पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है । इस किले क नाम दो पर्वतों रण तथा थम्भोर से लिया गया है यह किला थम्भोर पर्वत पर स्थित है, जो समुन््रद तट से ४८१ मीटर ऊंचा है। रण पर्वत थम्भोर पर्वत से जुड़ा है । पर्वत के ऊपर से ेेेकुछ शानदार नजरों की तस्वीरें खींची जा सकती है इसके साथ ही यहाँ  पर वाइल्ड लाइफ के शौकिनों के लिए नेशनल पार्क भी आर्कषण का केन्द्र भी बना रहता है।
कुम्भलगढ़ का किला (राजसमंद)-
यह राजस्थान के राजसमंद जिलें में स्थित एक मेवाड़ किला है। यहां के पहाड़ी किलों में शुमार इस किले को विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त है ।
१५ वीं शताब्दी में राणा कुम्भा के शासन काल के दौरान निर्मित इस किलें का विस्तार १९ वीं शताब्दी में भी हुआ । कुम्भलगढ़ महाराणा प्रताप का जन्म स्थान भी है। १९ वीं शताब्दी तक विभिन्न राजवंशों का इस किले पर शासन रहा, और अब इसे सार्वजनिक तौर पर लोगों के लिए खोल दिया गया है। हर शाम इसमें कुछ समय के लिए शानदान रोशनी की जाती है। यह उदयपुर के उत्तर पश्चिम में ८२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह चितौडग़ढ़ के बाद मेवाड मेें सर्वाधिक महत्वपूर्ण किला है । ऐतिहासक तथ्य यह है कि किलें की दीवार चीन की दीवार के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है और इसे ‘ग्रेट वाल ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है।

जयगढ़ किला (जयपुर)-
इस किले की मोटी दीवारे लाल चूना पत्थर से बनी है और ये लम्बाई में ३ किलों मीटर तक फैली है और इनकी चौड़ाई १ किलों मीटर है। इस किले में विश्व की सबसे बड़ी पट्टियों वाली तोप ‘जनवन कैननÓ स्थित है। इसके महल का परिसर काफी बड़ा है। इसमें लक्ष्मी विलास, ललित मंदिर, आराम मंदिर तथा विलास मंदिर शामिल है। इस किले में शानदार गार्डन तथा एक म्यूजियम स्थित है जिस देखने पर्यटक विशेष तौर पर यहां आते  है।

चित्तौडग़ढ का किला-
चित्तौडग़ढ का किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है । राजस्थान का यह सबसे शानदार किला है, जिसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है । किला, जिसे चित्तौड़ के नाम से जाना जाता है , मेवाड़ की राजधानी था । आज यह चित्तौडग़ढ़ शहर में स्थित है। इस किले तथा चित्तौडग़ढ शहर में ‘जौहर मेला नामक राजपूत मेला लगता है। वार्षिक तौर पर मनाया जाने वाला यह मेला जौहरों में से एक ही वर्षगांठ के तौर पर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मेले का संबंध पद्मिनी के जौहर से है। दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने पद्मिनी को प्राप्त करने के लिए जब राणा रतन सिंह का कत्ल कर दिया था तो पद्मिनी ने अपनी जान दे दी थी ।
जैसलमेर का किला-
यह विश्व की सबसे बड़ी किला बंदियों में से एक है । जैसलमेर स्थित यह किला भी विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है। इसका निर्माण ११५६ ईस्वी में राजपूत शासक रावल जैसल ने करवाया था, जिसके नाम पर इस किले का नाम रखा गया । यह थार मरूस्थल के मध्य में त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है । यह कई युद्धों का गवाह रहा है। इसकी पीली, चूना पत्थरों से बनी दीवारों का रंग दिन के वक्त शेर के शरीर जैसा होता है । जैसे जैसे सूर्यास्त होता है, तो यह शहद जैसा सुनहरी हो जाता है और यह जैसे छद्म वेश धारण कर लेात है। इसी कारण इसे सौनार
किला या गोल्डन कोर्ट कहा जाता है।

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