फेक न्यूज से कैसे प्रभावित हो सकते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव

अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि फेक न्यूज से अमेरिका और फिलिपिंस में चुनावों को प्रभावित करने वाले शरारती तत्व हमारे देश के लोकसभा चुनावों पर भी अटैक कर सकते हैं। इसके लिए ‘फेक न्यूज’ सबसे कारगर अस्त्र होता है। लोकसभा चुनाव घोषित होने के बाद चुनाव आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती ‘फेक न्यूज’ हैं। ऐसे एक आरोपी की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।

देश में अब आम चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव आचार संहिता का बेहतर अनुपाल सुनिश्चित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग के सामने बड़ा चैलेंज ‘फेक न्यूज’ को माना जा रहा है। गौरतलब है कि इस समय दुनिया भर में फेक न्यूज के मामले में इंटरनेट कंपनियां दबाव का सामना कर रही हैं। हमारे देश में फेक न्यूज और वीडियो की अफवाहों से कई जगह हिंसा की घटनाओं के बाद केंद्र सरकार गूगल को इस पर लगाम लगाने की हिदायत दे चुकी है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा चुनावी कार्यक्रम जारी कर चुके हैं।

अब आयोग की सारी कसरत आदर्श आचार संहिता लागू करने पर केंद्रित हो गई है। उल्लेखनीय है कि इस साल जनवरी में सोशल मीडिया पर एक ऐसी सूची वायरल हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि लोकसभा चुनाव का शेड्यूल लीक हो गया है। उस समय चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल एवं टेक्नोलॉजी सेल के स्पेशल कमिश्नर से ऐसे फेक न्यूज प्रसारित करने वाले सरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। चुनाव आयोग की ओर से फेक न्यूज के खिलाफ कार्रवाई का वह पहला वाकया था।

इस बार चुनाव आचार संहिता के दायरे में सोशल मीडिया को भी रखा गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना है कि इस बार सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जाएगी। सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए राजनीतिक दलों की ओर से किए गए खर्चों भी जोड़ा जाएगा। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को किसी भी राजनीतिक पार्टी के विज्ञापन को जारी करने की जानकारी देनी होगी और स्वीकृति मिलने के बाद ही वह ऐसा कर सकते हैं। गूगल और फेसबुक को भी ऐसे विज्ञापन दाताओं की पहचान करने के लिए कहा गया है। इस बार फेक न्यूज और हेट स्पीच पर नियंत्रण एवं निगरानी के लिए जिम्मेदार अधिकारी की नियुक्ति की जा रही है ताकि फेक न्यूज से कोई इस अवसर का अनुचित लाभ न उठा सके, न अफवाहें फैला सके। आदर्श आचार संहिता राजनीतिक दलों, खासकर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए आचरण और व्यवहार का मानक है।

इस बीच चुनाव में फेक न्यूज का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह सक्रिय हो चुका है। उधर, वॉट्सएप, फेसबुक और इंटरनेट के जरिए फेक न्यूज का सर्कुलेशन भी तेज होने लगा है। हालांकि साइबर सेल भी इनपर नजर बनाए हुए हैं ताकि समय रहते फेक न्यूज पर लगाम लगाई जा सके। इसी कड़ी में दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने झारखंड से एक व्यक्ति को लोकसभा चुनाव 2019 की झूठी तारीखों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर लिया है। उसकी पहचान गोमंत कुमार के नाम से हुई है। गोमंत ने लोकसभा चुनाव का झूठा शेय्डूल अपलोड किया था। फिलहाल उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया है। आयोग का मानना है कि अफवाहें, झूठी भविष्यवाणी और फेक न्यूज उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। कई अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी भविष्यवाणी की है कि जिन लोगों ने अमेरिका और फिलिपिंस में चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास किया है, वे भारत के चुनावों पर भी हमला कर सकते हैं।

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